ये एक भजन है जो भगवान कृष्ण की भक्ति में गाया जाता है. इस भजन में भक्त कृष्ण से अपनी भक्ति के लिए प्रार्थना करता है. भक्त कहता है कि कृष्ण ने उसके सभी छाप और तिलक छीन लिए हैं और अब वह केवल कृष्ण की भक्ति में ही डूबा हुआ है. भक्त कृष्ण से प्रार्थना करता है कि वह उसे अपने प्रेम में डूबा रहने दें और कभी भी उसे अपने प्रेम से अलग न करें. यह भजन बहुत ही भावुक और संवेदनशील है. यह भक्त की कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और समर्पण को प्रदर्शित करता है. यह भजन सभी भक्तों को भगवान कृष्ण की भक्ति में डूबने और उनके प्रेम का अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है. छाप तिलक सब छीनी रे मो से नैना मिलायी के लिरिक्स इस प्रकार हैं: छाप तिलक सब छीनी रे मो से नैना मिलायी के नैना मिलायी के, मो से साना मिलायी के बात अधम कह दिनी रे मो से नैना मिलायी के बलि बलि जाओ रे मई तोरे रंग रजवा तोरे रंग रजवा, मई तोरे रंग रजवा अपने ही रंग रंग लीनी रे मो से नैना मिलायी के प्रेम भक्ति का माधवा पिलाई के माधवा पिलाई के श्याम, माधवा पिलाई के प्रेम भक्ति का माधवा पिलाई के हरी हरी छुरिया, गोरी गोरी बाइया गोरी गोरी बाइया, गोरी गोरी बाइया
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